लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव इस विधानसभा चुनाव में वैशाली जिले के महुआ विधानसभा सीट की जगह समस्तीपुर जिले के हसनपुर से चुनाव लड़ेंगे। पिछला चुनाव में वो महुआ से लड़े थे और आसानी से जीत गए थे। इस बार उन्होंने सीट बदल ली। अब सवाल उठ रहा है कि पिछले पांच साल में ऐसा क्या हुआ कि तेज प्रताप महुआ से क़रीब 60 किलोमीटर दूर हसनपुर चुनाव लड़ने चले गए?
मीडिया ने जब इस पलायन के बारे में तेज प्रताप यादव से पूछा तो उन्होंने कहा कि हसनपुर में विकास नहीं हुआ है इसलिए वो वहां से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इस तर्क के अलावे मीडिया के एक तबके में चर्चा है कि अपनी पत्नी ऐश्वर्या के महुआ से चुनाव लड़ने की सम्भावनाओं के चलते वो हसनपुर का रूख कर रहे हैं।
लेकिन महुआ विधानसभा क्षेत्र के एक युवा वोटर पंकज कुमार के मुताबिक तेज प्रताप यादव के यहां से जाने के पीछे असल वजह कुछ और ही है। वो कहते हैं,' उनके विधायक रहते हुए महुआ का विकास बहुत हुआ है। इसमें कोई शक नहीं है। सड़क चकाचक है। यहां से कुछ दूर पर मेडिकल कालेज बन रहा है। इस सब के बारे में हमने कभी सोचा नहीं था लेकिन ये भी सच्चाई है कि पिछले पांच सालों में वो एक बार भी क्षेत्र में नहीं आए।
कुछ समय पहले मुझ जैसे युवा अपनी मांग लेकर गए भी थे तो गेट से अंदर नहीं घुसने दिया गया था। पिछली बार जिस कार्यकर्ता के बल पर वो चुनाव जीत गए थे वो इस बार उनसे नाराज है। यही वजह है कि खूब विकास करने के बाद भी उन्हें इस सीट से जाना पड़ा।”
इलाके के जानकार बताते हैं कि 2015 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार समीकरण भी बदल चुके हैं। पिछली बार नीतीश और लालू साथ थे। यादव, मुस्लिम और अति पिछड़ा वोट एक साथ तेज प्रताप को मिल गए थे। इस बार ऐसा नहीं है। नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हैं। वहीं आरजेडी के अपने कार्यकर्ता तेजप्रताप से नाराज हैं। इस विधानसभा सीट पर दो लाख से ज़्यादा मतदाता हैं। इसे यादव बहुल क्षेत्र माना जाता है लेकिन, कोईरी और कुर्मी सहित पिछड़ी और अगड़ी जाति के मतदाताओं का भी अच्छा खासा प्रभाव है। सबसे बड़ी बात, राजनीतिक जोड़तोड़ करने में माहिर लालू यादव जेल में हैं।
तो क्या बदले हुए समीकरण और कार्यकर्ताओं की नाराजगी की वजह से लालू के बड़े लाल तेज प्रताप यादव महुआ से अपना चुनाव ही हार जाते? मनगरुआ चौक पर मिले राजीव रंजन के मुताबिक ये सम्भव था और इसी वजह से तेजप्रताप को ये सीट छोड़ना पड़ा। वो कहते हैं, 'लालू जी संघर्ष से आगे बढ़े थे। इनके बेटों को तो सब कुछ आसानी से मिल गया। ये अपने लोगों को ही भूल गए। अगर कार्यकर्ता चुनाव जीतवा कर भेज सकता है तो हरवा भी सकता है इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए!'
तेज प्रताप ने सीट बदला तो मीडिया के तबके में चर्चा शुरू हो गई कि वो अपनी पत्नी ऐश्वर्या के महुआ से चुनाव लड़ने की वजह से सीट छोड़ रहे हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि महुआ विधानसभा क्षेत्र में इस वजह की चर्चा तक नहीं है।
राकेश महतो इसी विधानसभा के मतदाता हैं। बतौर विधायक और मंत्री तेज प्रताप यादव द्वारा इलाके में किए गए विकास कार्यों से खासे प्रभावित हैं। इनके मुताबिक अगर ऐश्वर्या राय यहां से तेज प्रताप यादव के खिलाफ लड़तीं तो बुरी तरह से हारतीं। वो कहते, 'हमें तो नहीं पाता कि असली वजह क्या है लेकिन अगर ये वजह था तो तेज प्रताप को यहीं से लड़ना चाहिए था। आसानी से जीत जाते।'
ख़ैर, अब ये साफ है कि महुआ विधानसभा सीट से तेजप्रताप चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इस स्थिति में यहां का चुनाव आरजेडी के लिए और मुश्किल हो गया है। वैसे तो अभी मतदान में काफी समय है। लेकिन फिलहाल महुआ में स्थानीय और बाहरी उम्मीदवार का मुद्दा हावी है। इसे लेकर आरजेडी के कार्यकर्ता ही मोर्चा खोले हुए हैं। इस चुनाव में मुकेश रोशन महागठबंधन की तरफ आरजेडी के उम्मीदवार हैं।
वहीं जदयू ने महुआ से राजद के पूर्व मंत्री मो. इलियास हुसैन की बेटी आशमा परवीन को अपना प्रत्याशी बनाया है। दिलचस्प ये है कि स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार की लड़ाई जदयू में भी चल रही है। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को लेकर पटना में पार्टी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन भी किया है।
मामला समझिए। 2015 में जब तेज प्रताप महुआ से चुनाव लड़े तो स्थानीय आरजेडी नेता जोगेश्वर राय नाराज हो गए और जदयू में शामिल हो गए। मगर इस बार भी उन्हें टिकट नहीं मिला क्योंकि जेडीयू ने इन बार महुआ से इलियास हुसैन की बेटी आशमा परवीन को टिकट दिया है। जैसे पिछली बार जोगेश्वर राय ने मोर्चा खोला था वैसे ही इस बार आरजेडी के स्थानीय नेता और अब बागी सतेंद्र कुमार राय लड़ाई के मूड में हैं। वो कहते हैं, “अगर लालू जी के परिवार से कोई भी आता तो हम खड़ा नहीं होते। लड़ते नहीं। अब अगर वो नहीं आ रहे हैं तो किसी बाहरी को यहां से जीतने नहीं देंगे। हम लड़ेंगे। जनता हमारे साथ है।”
हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले विधानसभा सीटों का चुनावी इतिहास
हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीट (हाजीपुर, लालगंज, महनार, महुआ, राजापाकर और राघोपुर) हैं। महुआ और राघोपुर ऐसी दो विधानसभा सीटें हैं जिसपर सबकी नजर है। पिछली बार महुआ से तेजप्रताप विधानसभा पहुंचे थे। अगर 2010 में हुए विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो साल 2000, 2005 के फरवरी-अक्टूबर और 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार ने ही जीत दर्ज की है।
वहीं राघोपुर वो विधानसभा सीट है जहां से 1995, 2000 में राजद सुप्रीमो लालू यादव विधायक बने। 2005 में बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री और लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं। वहीं 2015 में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव चुनाव जीते।
अगर बाकी बचे 4 विधानसभा सीटों की बात करें तो हाजीपुर विधानसभा सीट पर साल 2000 से बीजेपी का कब्जा है। 2008 में हुए परिसीमन में बने नए विधानसभा सीट राजापाकर से 2010 में जदयू चुनाव जीता तो 2015 में इस सीट पर भी आरजेडी का कब्जा हो गया।
अगर बात करें महनार विधानसभा सीट की तो यहां से जदयू और लोजपा दो-दो बार चुनाव जीत चुके हैं। आरजेडी को इस सीट पर एक बार भी जीत नसीब नहीं हुई है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से जेडीयू के उमेश सिंह कुशवाहा ने जीत हासिल की थी। उन्होंने बीजेपी के अच्युतानंद को भारी अंतर से मात दी थी। तब नीतीश और लालू यादव साथ थे। इस चुनाव में नीतीश बीजेपी के साथ हैं।
वहीं लालगंज वो विधानसभा सीट है जिसपर जदयू और लोजपा के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में लोजपा ने बिहार के 243 सीटों में से 42 पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। जब रिजल्ट आया तो पार्टी के दो ही उम्मीदवार चुनाव में कामयाब हुए। एक थे गोविंदगंज सीट से राजू तिवारी और दूसरे लालगंज विधानसभा सीट से राज कुमार साह।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3nQesef
via LATEST SARKRI JOBS
from Novus News https://ift.tt/2Innv5T
via LATEST SARKARI JOBS AND NEWS
Post a Comment