इस हफ्ते दो मशहूर वेब शो ‘अ सुटेबल बॉय’ और ‘मिर्जापुर-2’ स्ट्रीम हो रहे हैं। वेब शोज ने उन प्रतिभाओं के लिए संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं, जिन्हें फिल्मों में कम मौके मिलते थे। अब इन कलाकारों ने भी लोकप्रियता कायम कर ली है। जैसे जब ‘पाताललोक’ आया तो जयदीप अहलावत की चर्चा चारों ओर होने लगी। वो जयदीप, जो 2012 से मेहनत कर रहे थे। विलेन के रूप में उन्हें काफी मौके मिले, मगर उनकी असल क्षमता ‘पाताललोक’ में उभर कर सामने आई।
वैसे ही आप बाकी वेब शोज देखें। वहां उन जैसे ढेर सारे एक्टर्स को मौका मिला है। जैसे ‘अ सुटेबल बॉय’ में 100 से ज्यादा किरदार हैं। लिहाजा एक तो ढेर सारे कलाकारों को काम मिला, दूसरा प्रतिभावान कलाकारों को उनका श्रेय मिल रहा है। दिलचस्प यह है कि रसिका दुग्गल दोनों सीरीज में हैं, जो एक ही दिन आ रही हैं।
इस तरह के मौके, ऐसे कलाकारों को फिल्मों में कहां मिलते हैं। वह इसलिए कि फिल्मों में स्लॉटिंग इतनी होती है कि अरे ये कलाकार तो एक खास तरह के रोल ही निभा सकते हैं। इस दकियानूसी विचार को वेब शोज ने बदला है। कलाकार प्रतिभावान है तो बेहतर रोल मिलेंगे ही। प्रोमोशन भी जमकर होता है। ‘मिर्जापुर 2’ के दिव्येंदु शर्मा, अली फजल, पंकज त्रिपाठी को ही देख लें।
सबको कमर्शियल फिल्म के हीरो जैसा प्रोमोशन मिल रहा है। ऐसे कलाकारों को फिल्मों में कथित तौर पर बहुत बड़ा काम नहीं मिल रहा था। ओटीटी वालों ने अब इन्हें इतना काम दे दिया है कि इनके पास वक्त ही नहीं है। ‘अ सुटेबल बॉय’ में मेन लीड में दिल्ली की तान्या मानिकतला हैं।
उन्होंने इससे पहले एक ही वेब शो किया था। फिर सीधे बीबीसी की वेब सीरिज मिल गई। इनके अलावा विवेक गोम्बर, नमित दास भी हैं। ये सब वे एक्टर हैं, जिनके चेहरे याद रहे हैं, पर लोग नाम भूलते रहे हैं। पर अब वेब शोज ने इन सबको बदल दिया है।
जहां तक सवाल लोगों की दिलचस्पी ओटीटी तक सीमित रहने का है, तो वैसा नहीं होगा। सिनेमा पूरी तरह खुलने के बाद वहां भी लोग जाएंगे। हां, ओटीटी ने अपना नया इको सिस्टम जरूर बना लिया है। लोग 8-10 एपिसोड की सीरीज देखने के आदि हुए हैं। पर जब सिनेमाघरों में नई फिल्में आएंगी तो वहां भी ज्यादा तादाद में लोग फिल्में देखने आएंगे। ओटीटी ने फिल्म इंडस्ट्री को फिर से ऊर्जा से लैस किया है। ढेर सारे राइटर, एक्टर सब मस्त हैं, व्यस्त हैं।
हालांकि ओटीटी के सितारों को फिल्मों में अभी भी तथाकथित वैसे रोल नहीं मिल रहे, जिसके वे लायक हैं। उसकी वजह यह है कि फिल्में अब भी स्टार्स पर निर्भर हैं। अभी भी स्टार्स की परिभाषा का दायरा सीमित है। गिनती के 10-15 स्टार्स हैं। इन्हीं में बड़े बजट की फिल्में चलती रहती हैं। ताकि दर्शक सिनेमाघरों तक आएं।
ओटीटी में ऐसा दबाव नहीं है। वे स्टार केंद्रित नहीं हैं। वहां अच्छी कहानियां और किरदार मिलते रहें तो बेहतर कंटेंट बनता रहेगा। इन चैनल के अधिकारी भी कहते हैं कि हर तरह की पसंद रखने वाले दर्शकों को कुछ न कुछ मिलता रहेगा। ओटीटी पर हर मूड को केटर करने के लिए कहानियां हैं।
इसपर बॉक्स ऑफिस का प्रेशर भी नहीं है। यहां पूछा नहीं जाता कि स्टार कौन है। हालांकि ओटीटी को कई पॉपुलर चेहरे मिले हैं, मगर मुझे नहीं लगता कि वहां स्टार कल्चर आया है। सब चाहते हैं कि कोई पॉपुलर चेहरा हो प्रोजेक्ट में, मगर अभी तक ऐसा नहीं हुआ कि कहानी तोड़-मरोड़ लें ताकि स्टार उसमें फिट हो जाए।
सिनेमाघरों के लिहाज से फिल्मों के इको सिस्टम में स्टार तो बेशक सबसे ऊंचे पायदान पर होता है। पर वेब शो में स्टार नहीं, बल्कि पूरे शो का कर्ता-धर्ता ऊपर होता है। जैसे ‘सुटेबल बॉय’ में छह एपिसोड में पांच मीरा नायर ने डायरेक्ट किए हैं। ‘सेक्रेड गेम्स’ के पहले सीजन के शो रनर विक्रमादित्य मोटवानी थे। दूसरे सीजन के एपिसोड नीरज घेवन ने डायरेक्ट किए।
ओटीटी में बेहतर काम करने वालों की पूछ फिल्मों में भी हो रही है। जैसे सुना है ‘फैमिली मैन’ बनाने वाले राज एंड डीके शाहरुख के साथ कोई फिल्म करने वाले हैं। आप अच्छी कहानी बताते हैं तो आपकी ब्रैंड वैल्यू हर जगह बनती है। (ये लेखिका के अपने विचार हैं)
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2TfvdRQ
via LATEST SARKRI JOBS
from Novus News https://ift.tt/2IU6FvL
via WOMEN HEALTH INFORMATION
Post a Comment