बात 2015 विधानसभा चुनाव की है। एक नारा चला था 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है'। 5 साल बाद फिर चुनाव का मौसम आया। इस बार 'बिहार में बहार की बयार' गायब हो गई और 'गाली-गलौज की भरमार' आ गई। हमेशा अपने संयमित और मर्यादित भाषणों के लिए पहचाने जाने वाले 'निश्चय नीतीश' भी भयभीत हो गए हैं।
नीतीश की सोमवार को महनार में एक सभा थी। यहां उन्होंने लालू यादव का नाम तो नहीं लिया। लेकिन, निशाना जरूर साधा, बोले- किसी को चिंता है? लोग आठ-नौ बच्चा पैदा करता है। बेटियों पर भरोसा ही नहीं था। कई बेटियां हो गईं, तब बाद में बेटा हुआ।
बात तेजस्वी यादव तक पहुंची तो उन्होंने भी जवाब दिया। बोले- ऐसे बयानों से मोदी जी को निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि वो भी 6-7 भाई-बहन हैं। सुशासन बाबू नीतीश इस चुनाव में लगातार लालू परिवार पर निजी हमले कर रहे हैं। वह यादव फैमिली की बहू रहीं ऐश्वर्या को लेकर भी तंज कस चुके हैं। तब बोले थे- देखा पढ़ी-लिखी लड़की के साथ एक परिवार ने कितना गंदा व्यवहार किया।
नीतीश के अलावा कई और माननीय भी हैं, जो जमकर ऊट-पटांग बोलने पर आमादा हैं, ऐसे ही 5बयान ये रहे-
1. चिराग एक 'जमूरा' है
एक सभा में जदयू नेता संजय झा ने चिराग पासवान को 'जमूरा' बता डाला। बोले- चिराग एक 'जमूरा' है, जो किसी और की धुन पर नाच रहा है। जैसे उसकी फिल्म फ्लॉप हुई, वैसे वह राजनीति में भी फ्लॉप हो जाएगा।
इस पर चिराग ने जेडीयू से सवाल पूछ लिया। बोले- मैं जमूरा तो क्या आप प्रधानमंत्री मोदी को मदारी कह रहे हैं?
2. चिराग लंका की जगह अयोध्या में आग लगाएंगे
अब बारी पूर्व उप मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की थी। उन्होंने चिराग पासवान की तुलना कोरोनावायरस से कर दी। बोले- चिराग लंका की जगह अयोध्या में आग लगाएंगे। बिहार के लोग ऐसे वायरस से बचकर रहें।
3. रावण वध के लिए जनता तैयार है
बात रविवार की है। राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। यहां वह नीतीश कुमार की तुलना रावण से कर बैठे। बाेले- राक्षस राज और रावण का वध करने के लिए बिहार की जनता तैयार है।
4. राजद सरकार आई तो कश्मीर से आतंकी आएंगे
बिहार में माहौल बनाने के लिए केंद्रीय मंत्रियों की फौज भी आई हुई है। इनमें माननीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय भी शामिल है। उन्होंने मंगलवार को एक बेतुका बयान दिया। कहा- राजद के जीतने पर बिहार में कश्मीर से आए आतंकी पनाह ले लेंगे।
5. टुकड़े-टुकड़े गैंग से गले क्यों मिले तेजस्वी
मंगलवार को वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर नित्यानंद राय से भी आगे निकल गए। उन्होंने तेजस्वी यादव से पूछा कि आपने टुकड़े-टुकड़े गैंग को गले क्यों लगाया।
नीतीश की बौखलाहट बता रही, उनके पास मुद्दा नहीं
बिहार पर गहरी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन कहते हैं कि यह नीतीश बाबू की बौखलाहट है। पहली बार उन्हें सुनकर भी हैरानी रही, क्योंकि आमतौर पर वह ऐसी भाषा का इस्तेमाल करते नहीं थे। हां, इस दफा लालू यादव भी नहीं हैं। पहले नीतीश को पता होता था कि लालू उनसे ज्यादा ऊट-पटांग बोल सकते हैं। इसलिए भी वह संयमित रहते थे।
बिहार में इस बार जाति का नहीं, रोजगार का मुद्दा चल रहा
वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र कहते हैं कि राजनीति में मुद्दे जब चूक जाते हैं, तब इस तरह की अनर्गल बातें होती हैं। ये चीजें नेताओं की हताशा भी बयां करती हैं। बिहार में इस बार जाति का नहीं, रोजगार का मुद्दा चल रहा है। इसलिए भी नीतीश जैसे नेता बेतुकी बातें कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने जब पहली दफा 10 लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कही, तो सभी ने उनका मजा लिया। लेकिन, बाद में भाजपा को अपने मेनिफेस्टो में 19 लाख लोगों को रोजगार के अवसर देने की घोषणा करनी पड़ी।
एनडीए का पूरा कैंपेन नीतीश के इर्द-गिर्द चल रहा
अरविंद मोहन कहते हैं कि इस तरह की गाली-गलौज से एक और बात साफ है कि जेडीयू-भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है। एनडीए का बिहार में जो भी कैंपेन है, वो नीतीश के इर्द-गिर्द है। भाजपा में मोदी के अलावा कोई बड़ा नेता नहीं है। अमित शाह हैं नहीं, जेपी नड्डा और भूपेंद्र यादव को आउटसाइडर माना जा रहा है।
बिहार में 30 साल से अगड़ी-पिछड़ी जाति की राजनीति चलती थी। लेकिन, पहली बार जाति की राजनीति काफी हद तक गायब है। इस बार बेरोजगारी, महंगाई बड़ा मुद्दा बन चुका है।
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