भारतीय वैज्ञानिकों ने गठिया के मरीजों को दवा के साइड इफेक्ट से बचाने का नया तरीका खोजा है। दवा को सीधे दर्द और सूजन वाली जगह इंजेक्ट करने पर मरीजों में उल्टी, सिरदर्द जैसे साइड इफेक्ट नजर नहीं आए। साथ ही इसका असर भी लंबे समय तक रहा।
पंजाब की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भूपिंदर कपूर ने इस पर रिसर्च की है। वो कहते हैं कि गठिया में आमतौर पर मरीजों को सल्फापायरीडाइन दवा दी जाती है। इसके कई साइडइफेक्ट होते हैं। दवा इंजेक्ट करने से वो सीधे दर्द वाले हिस्से तक पहुंचती है और यह तरीका सुरक्षित है।
उन्होंने बताया," सल्फापायरीडाइन गठिया की तीसरी सबसे पुरानी दवा है। लंबे समय तक इस दवा को लेने से चक्कर आना, पेट में दर्द, उल्टी होना, जी मिचलाना और स्किन पर चकत्ते पड़ने जैसे साइडइफेक्ट नजर आते हैं। दर्द वाली जगह पर दवा इंजेक्ट करने से यह शरीर में फैले बिना प्रभावित हिस्से को फायदा पहुंचाती है।इस नए तरीके का ट्रायल भी किया जा चुका है।"
असर नजर आया,सूजन कम हुई
रिसर्च के दौरान आर्थराइटिस से जूझ रहे चूहे को जब यह दवा नए तरीके से दी गई तो उसमें सूजन कम हुई। पता चला कि पुराने तरीके से दवा दिए जाने पर मेटाबॉलिज्म पर भी असर पड़ता है। मैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग-सी जर्नल में पब्लिश रिसर्च कहती है कि सल्फापायरीडाइन के मॉलीक्यूल शरीर में घुलने में काफी समय लेते हैं। इसलिए वैज्ञानिकों ने इस दवा को इंजेक्शन की फॉर्म में तैयार किया। चूहे पर इसके इस्तेमाल से पता चला कि दवा का असर भी ज्यादा वक्त तक रहा और साइड इफेक्ट भी नजर नहीं आए।
रिसर्च टीम के मुताबिक, टीम ने इसका पेटेंट फाइल किया है। दवा का प्री-क्लीनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया से मंजूरी मिलने पर यह दवा लोगों के लिए उपलब्ध कराई जा सकेगी। यह रिसर्च लुधियाना के फॉर्टिस हॉस्पिटल और जेएसएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी, तमिलनाडु के साथ मिलकर की गई।
क्या होता है गठिया
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आदित्य पटेल के मुताबिक, गठिया दो तरह का होता है। पहला, ऑस्टियो आर्थराइटिस और दूसरा, रुमेटॉयड आर्थराइटिस। ऑस्टियो आर्थराइटिस बढ़ती उम्र वालों में ज्यादा होता है, जबकि रुमेटॉयड आर्थराइटिस कम उम्र में भी हो जाता है, यह अनुवांशिक होता है। करीब 20% यंगस्टर्स भी इससे परेशान हैं। घंटों एक ही स्थिति में बैठकर काम करना, बढ़ती धूम्रपान की आदत और तनाव इसकी बड़ी वजह हैं।
जोड़ों में अकड़न व सूजन, तेज दर्द, जोड़ों से तेज आवाज आना, उंगलियों या दूसरे हिस्से का मुड़ने लगना जैसे लक्षण दिखने पर अलर्ट हो जाएं। बीमारी की शुरुआत में जोड़ों में अकड़न के साथ दर्द होना शुरू होता है। कुछ समय बाद जोड़ों में तेज दर्द होने लगता है और सूजन आने लगती है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3e10kKu
via LATEST SARKRI JOBS
from Novus News https://ift.tt/31RJEjU
via WOMEN HEALTH INFORMATION
Post a Comment