नहीं चलेंगे डीजल जनरेटर, हेल्थ इमरजेंसी आते ही निर्माण कार्यों, इंडस्ट्रियों पर लगेगी रोक

प्रदूषण के बढ़ने के साथ ही दिल्ली एनसीआर में गुरुवार से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू हो रहा है। इसके तहत एजेंसियों को पाबंदियां को लागू करना होगा। दिल्ली-एनसीआर के दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रुरुग्राम, फरीदाबाद और गाजियाबाद में डीजल, पेट्रोल और मिट्टी के तेल से चलने वाले जनरेटर पर प्रतिबंध रहेगा। यह प्रतिबंध 15 मार्च तक लागू रहेगा। हालांकि सीएनजी, पीएनजी और बिजली से चलने वाले जनरेटर पहले की तरह चल सकेंगे।

बता दें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वर्ष 2017 से ग्रैप को लागू किया गया था। इसकी मॉनीटरिंग दिल्ली-एनसीआर में ईपीसीए करता है। बता दें इस बार दिल्ली-एनसीआर के पांचों शहरों में जेनरेटरों पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। इसके अलावा सड़कों पर मैन्युअल तरीके से झाड़ू लगाने पर प्रतिबंध रहेगा। सड़कों की सफाई पूरी तरह मैकेनाइज्ड तरीके से होगी।

पानी का छिड़काव, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) की टीमें हॉट स्पॉट के साथ ही कूड़ा जलाने वालों पर नजर रखने के लिए पेट्रोलिंग करेंगी। इस मामले में डीपीसीसी ने सभी संबंधित एजेंसियों को आदेश जारी कर दिए है। डीपीसीसी ने सभी जिलों के डीएम, डीसीपी, तीनों एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली कैंट के अधिकारियों को निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा है। साथ ही प्रतिदिन एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा है।

इन जरूरी सेवाओं में डीजल जनरेटर की रहेगी अनुमति

  • मेडिकल- अस्पताल/नर्सिंग होम/हेल्थ केयर फेसिलिटी
  • एलिवेटर (लिफ्ट)/एक्सीलेटर
  • रेलवे सर्विसेस/रेलवे स्टेशन
  • दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ट्रेन और रेलवे स्टेशन पर
  • एयर पोर्ट एंड इंटर स्टेट बस टर्मिनल(आईएसबीटी)
  • नेशनल इंफार्मेशन सेंटर (एनआईसी) के डाटा सेंटर के लिए

दिल्ली प्रदूषण में पराली जलाने का सिर्फ 1% योगदान: रिसर्च

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण स्तर में भारी बढ़ोतरी के पीछे आस-पास के राज्यों में पराली जलाया जाना बड़ा कारण नहीं है। इसके लिए दिल्ली में मौजूद प्रदूषण के स्थानीय स्रोत और मौसम ज्यादा जिम्मेदार हैं। यह दावा सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (एसएएफएआर) के आंकड़ों के आधार पर किया गया है। इसके मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने का योगदान बुधवार को 1% रहा। वहीं, मंगलवार को यह 3% था।

एसएएफएआर के मुताबिक 13 अक्टूबर को दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने के 357 वाकये हुए। लेकिन, हवा का रुख विपरीत होने के कारण इनका दिल्ली की आबोहवा पर बहुत कम असर पड़ने की उम्मीद है।

हाल ही में आईआईटी कानपुर द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक दिल्ली में 38 फीसदी 2.5 पीएम प्रदूषक सड़कों की धूल से आता है। वहीं, 20 फीसदी वाहनों के उत्सर्जन से और 11 फीसदी उद्योगों से आता है। सर्दियों में पूरा प्रदूषण जमीन के करीब आ जाता है। इससे प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है। वहीं, गर्मियों में हवा की परत पतली हो जाती है और प्रदूषण कम हो जाता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वर्ष 2017 से ग्रैप को लागू किया गया था। इसकी मॉनीटरिंग दिल्ली-एनसीआर में ईपीसीए करता है।


from Dainik Bhaskar /national/news/diesel-generators-will-not-run-construction-work-industries-will-be-banned-as-soon-as-health-emergency-comes-127815437.html
via LATEST SARKRI JOBS

from Novus News https://ift.tt/2H6cju1
via WOMEN HEALTH INFORMATION

Post a Comment

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();