सुशांत सिंह राजपूत के करियर की सबसे हिट फिल्मों में से एक 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' को रिलीज हुए बुधवार को 4 साल पूरे हो गए। ये फिल्म 30 सितंबर 2016 को रिलीज हुई थी। इस खास मौके पर दैनिक भास्कर ने फिल्म में सुशांत के साथ काम कर चुके कुछ कलाकारों से बात की और सुशांत से जुड़े उनके अनुभव को जाना।
राजेश शर्माः ‘उधार की सिगरेट’ ने सुशांत संग बनाया था जादुई कनेक्शन
फिल्म में धोनी के स्कूल कोच के रूप में नजर आए राजेश शर्मा ने अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा, 'धोनी के कोच भी सेट पर थे। नीरज पांडे जी ने उनसे मिलवाया था। कोच बिल्कुल मुझ से विपरीत पर्सनालिटी के लग रहे थे। कद काठी, रंग, सूरत किसी भी तरह से कोई मेल नहीं था। फिर भी डायरेक्टर ने मुझ पर भरोसा किया था तो मुझ में ताकत आई। मैंने फिर बिना किसी झिझक के धोनी के कोच का रोल प्ले किया।'
आगे उन्होंने कहा, 'दूसरी चीज यह रही कि इस फिल्म में सुशांत के साथ केमिस्ट्री पहले से ही बनी हुई थी। उसकी वजह पुरानी थी। इससे पहले हम दोनों फिल्म ‘शुद्ध देसी रोमांस’ में भी साथ काम कर चुके थे। वहां शूट के दौरान सुशांत ने बहुत हिचकिचाते हुए सिगरेट मांगी थी। उसके बाद हमारी मुलाकात धोनी के सेट पर हुई।'
'मैं सेट पर जल्दी पहुंच गया था। सुशांत बाद में अपनी गाड़ी से उतरे। उनके हाथों में सिगरेट थी। वे स्पॉट पर सिगरेट नचाते हुए मेरे पास आए और बोले सर आप की एक सिगरेट उधार है। उसके बाद हम कभी उनकी तो कभी वह हमारी सिगरेट पिया करते थे।'
'फिर रांची में एक बड़ा उम्दा होटल था। वहां कबाब बड़ा अच्छा मिलता था। वहां सुशांत कबाब खिलाने ले गए थे। अनुपम खेर जी भी उस स्पॉट पर हमें ले जाते थे। फिर नाश्ते वगैरह पर हमारी मुलाकातें हुआ करती थीं। कुल मिलाकर सुशांत खाने खिलाने के बड़े शौकीन थे।'
आगे राजेश ने कहा, 'सुशांत सिंगल टेक में सीन ओके नहीं करते थे। कई बार डायरेक्टर के साथ ओके होने के बावजूद वो कहते रहते कि एक बार और करते हैं। शूट के ब्रेक में फिल्मों से ज्यादा म्यूजिक पर ज्यादा बातचीत होती थी। संगीत का उन्हें बड़ा शौक था। उन्हें मेरी ‘नो वन किल्ड जेसिका’ और ‘लव शव ते चिकन खुराना’ पसंद आई थी।'
'सेट पर हम लोग सिगरेट के कश लगाते थे, मगर हां बाकी कभी लगा नहीं कि वो एब्नॉर्मल थे या डिप्रेशन में थे या उन्हें बाकी नशे की आदत थी। बिल्कुल नहीं। मेरा इससे भी बड़ा ऐतराज है कि लोग किसी की व्यक्तिगत आदतों को उसके प्रोफेशन से क्यों जोड़ते हैं।'
'बहरहाल, इस फिल्म पर सबने मेहनत की थी। सुशांत का समर्पण भी मिसाल के लायक था। धोनी की वॉक, उनकी आदतों को जिस खूबी से उन्होंने आत्मसात किया था, वो अपने आप में बहुत बड़ी बात थी। उन्होंने कई हजार बार धोनी के वीडियोज देखें, सैकड़ों मुलाकातें कीं, तब उनकी तरह फिल्म में प्रेजेंट हो सके। समझा जा सकता है कि वो कैरेक्टर को लेकर कितने डेडिकेटेड थे।'
क्रांति प्रकाश झाः धोनी फिल्म से सुशांत और मैं एक दूसरे को भइबा से संबोधित करने लगे थे
फिल्म में सुशांत के दोस्त के रूप में नजर आए क्रांति ने बताया, 'फिल्म और सुशांत को लेकर ढेर सारे किस्से हैं। फिल्म में एक सीन है जब धोनी के अवतार में हम लोग सुशांत को कोलकाता एयरपोर्ट छोड़ने जाते हैं। रांची के आगे एक लोकेशन थी, जहां दिल के शेप वाले स्पॉट पर हम सब रूके। गाड़ी से उतरे और काफी बातें कीं। संघर्षों से लेकर अध्यात्म आदि को लेकर बातें होती थीं।'
'मुंबई में हम एक और सीक्वेंस शूट कर रहे थे। वहां सुशांत ने अपने सपनों के बारे में सबको बताया था। उस वक्त वो ‘चंदामामा’ करने वाले थे। इन दो वाकयों से समझा जा सकता है कि वो किस तरह के इंसान थे। हम दोनों एक-दूसरे को भइबा से संबोधित करते थे।
फिल्म के लिए हेलीकॉप्टर शॉट पर तो भइबा काफी दिनों से प्रैक्टिस कर रहे थे। सच कहूं तो उन्होंने मुझे भी उस शॉट की बारीकियां बताईं। वो सीक्वेंस फिल्माने के बाद सेट पर बड़ा बेहतरीन माहौल रहा। उनके घर भी आना जाना होता था। रिलीज के बाद मैं बिहार अपने घर आया था। वहां से मुंबई लौटा तो ठेकुआ, सिंघाड़ा लेकर आया था। हमने तीन चार घंटे साथ बिताए थे। पटना की ढेर सारी बातें याद कीं। फिर साल 2016 के बाद उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। मैसेज पर बातें हो पाती थीं।
शूट के दौरान तो वो कभी डिप्रेशन में नहीं लगे। बहुत सारे अंदाजे लगाए जा रहे हैं, मैं भी लगाऊं तो वह सही नहीं होगा। सेट पर बड़े जॉली रहते थे। मेरी वेब सीरिज आई थी 'रक्तांचल'। उस वक्त उनको मैसेज किया था, मगर उनका नंबर बदलता रहा होगा, तो शायद उन तक पहुंच नहीं पाया। लिहाजा उनकी तरफ से कोई रिप्लाई नहीं आया।'
(जैसा दोनों कलाकारों ने अमित कर्ण को बताया)
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