रविवार, 21 जून को सूर्य ग्रहण होगा। ये ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। इस वजह से इसका सूतक भी रहेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार ग्रहण सुबह 10.14 बजे शुरू होगा और 1.38 बजे खत्म होगा। ग्रहण का सूतक 20 जून की रात 10.14 बजे से 21 जून की दोपहर 1.38 तक रहेगा। ग्रहण के संबंध में समुद्र मंथन की कथा प्रचलित है।
ग्रहण से जुड़ी समुद्र मंथन की कथा
सूर्य ग्रहण की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन में 14 रत्न निकले थे। समुद्र मंथन में जब अमृत निकला तो इसके लिए देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाने लगे। उस समय राहु नाम के असुर ने भी देवताओं का वेश धारण करके अमृत पान कर लिया। चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दे दी। विष्णुजी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था, इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। तभी से राहु चंद्र और सूर्य को अपना शत्रु मानता है। समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है। शास्त्रों में इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
विज्ञान के अनुसार कैसे होता सूर्य ग्रहण?
ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब पृथ्वी पर चंद्र की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्र और पृथ्वी एक लाइन में आ जाते हैं। पृथ्वी के जिन क्षेत्रों में चंद्र की छाया पड़ती है, वहां सूर्य दिखाई नहीं देता है, इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखने से बचना चाहिए, क्योंकि इस समय में सूर्य से जो किरणें निकलती हैं, वे हमारी आंखों के लिए हानिकारक होती हैं।
सूतक काल में पूजा-पाठ न करें,मंत्रों का जाप करना चाहिए। ग्रहण समाप्ति के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करना चाहिए।
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