डायबिटीज और मोटापे से पीड़ित वो महिलाएं जो कोरोना से भी जूझ रही है, उनमें मौत का खतरा घटाने वाली दवा का नाम सामने आया है। रिसर्च को करने वाली मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, मेटफॉर्मिन ड्रग कोरोना से जूझ रही महिलाओं में मौत का खतरा 24 फीसदी तक घटा सकती है, जबकि पुरुषों में ऐसा नहीं होता।
मेटफॉर्मिन दवा आमतौर पर तब दी जाती जब डायबिटीज के मरीजों में लिवर अधिक शुगर रिलीज करता है। शोधकर्ताओं का मानना हे कि उम्मीद है कि यह दवा रिस्क फैक्टर को कम करेगी।
15 हजार मरीजों पर हुई रिसर्च
शोधकर्ताओं ने यह रिसर्च 15 हजार कोरोना मरीजों पर की है। इनमें 6200 से अधिक महिलाएं मोटापे से परेशान थीं। इनमें दवा के जरिए 24 फीसदी तक मौत का रिस्क कम होने की बात सामने आई। शोधकर्ताओं का कहना है कि उम्र और मरीज की गंभीर स्थिति ऐसे रिस्क फैक्टर हैं जो मौत का खतरा बढ़ाते हैं। रिसर्च में साबित हो चुका है कि पहले से बीमार, मोटापे से परेशान और डायबिटीज से जूझ रहे मरीज संक्रमण के हाईरिस्क जोन में हैं।
शरीर में सूजन का स्तर जितना अधिक, मौत का खतरा उतना ज्यादा
शोधकर्ताओं का कहना है, ऐसे मरीजों में होने वाली सूजन इम्यूनिटी पर असर डालती है जिसकी वजह से कोविड-19 से मौत की दर बढ़ती है। शरीर के सूजन का स्तर जितना ज्यादा होगा मौत का खतरा भी उतना ही बढ़ेगा। कोविड-19 होने पर यह दवा ऐसे मरीजों के इलाज का पहला चरण साबित हो सकती है। मेयो क्लीनिक के मुताबिक, मेटफॉर्मिन अमेरिका में प्रिस्क्राइब की जाने वाली चौथी सबसे कॉमन दवा है।
पुरुषों में इसलिए फायदा नहीं
शोधकर्ताओं के मुताबिक, महिलाओं में मौत का खतरा घटा, लेकिन पुरुषों में क्यों नहीं यह साफतौर पर सामने नहीं आ पाया है लेकिन एक बात जरूर है कि जेंडर का फर्क संक्रमण की गंभीरता पर पड़ता है। यह भी देखा गया है कि पुरुषों में सूजन का स्तर अधिक रहता है जो दवा के असर को घटा सकता है।
पुरुषों में संक्रमण अधिक गंभीर होने या मौत होने का प्रतिशत भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि पुरुषों का स्मोकिंग करनाजान का जोखिम बढ़ने की बड़ी वजह हो सकती है।
ऐसे काम करती है दवा
शोधकर्ताओं के मुताबिक, मेटफॉर्मिन दवा देने पर मरीज का ब्लड शुगर लेवलकंट्रोल होने लगता है इस वजह से शरीर में सूजन घटती है। रिसर्च के लिए हॉस्पिटल में 15,380 कोविड-19 के मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इनमें से 6256 महिलाएं डायबिटीज या मोटापे से जूझ रही थीं, इनमें से 2333 महिलाओं को यह दवा दी गई। इनमें 24 फीसदी महिलाओं में मौत का खतरा 21 से 24 फीसदी तक कम हो गया।
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