मुंबई में दो दिन पहले मंगलवार को कोरोना के 824 नए मामले आए। यह संख्या 40 दिन में सबसे कम है। यहां कोरोना फैलने का एक नया ट्रेंड सामने आया है। अब कोरोना का कहर झुग्गी बस्तियों में कम हो रहा है, लेकिनपॉश इलाकों और हाउसिंग सोसाइटियों में पैर पसार रहा है।
संक्रमण फैलने की सबसे ज्यादा स्पीड बोरीवली के पॉश इलाकों में देखने को मिली है। यहांं हर 16 दिन में मामले दोगुना होरहे हैं, जबकि कभी सबसे ज्यादा प्रभावित रहे धारावी में अब 76 दिनों में मामले दोगुनाहो रहे हैं। कोरोना टॉस्क फोर्स के प्रमुख डॉ. संजय ओक खुद कोरोना संक्रमित हो चुकेहैं। वे बताते हैं कि मुंबई में अब 13 दिन की जगह 37 दिन में मामले दोगुनाहो रहे हैं। हालांकि, पहले 7 दिनों में 5% की दर से पॉजिटिव केस बढ़ रहे थे। अब यह कम होकर 1.88% हो गया है। हालांकि, संजय मानते हैं कि अभी आईसीयू की मांग बढ़ रही है।
मुंबई मेंआईसीयू और वेंटिलेटर्स करीब-करीबफुल
मुंबई में 1219 आईसीयू हैं, जिसमें से सिर्फ 72 खाली हैं। वहीं वेंटिलेटर 701 है, जिसमें से सिर्फ 23 खाली हैं। मुंबई में अब तक 46 पुलिसकर्मी और नगर निगम के 70 कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो चुकी है। बीएमसी ने कंटेंनमेंट जोन की संख्या बढ़ाकर 770 कर दी है। 5932 से अधिक रिहायशी इमारतें और चॉल सील की गई हैं।
कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए प्रशासन ने बोरीवली, कांदीवली, मलाड और दहीसर इलाकों में लॉकडाउन लगाने का प्रस्ताव दिया है। इन इलाकों की आबादी लगभग 23 लाख है। बोरीवली रेड जोन में है। इसके पास कादहिसर ऑरेंज जाेन में है। श्री विश्वकर्मा चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से इन इलाकों में राहत सामग्री बांट रहे समाज सेवक रामा विश्वकर्मा कहते हैं कि बोरीवली में 7 दिन में 454 और दहिसर में 289 कोरोना संक्रमित मरीज बढ़े हैं। बोरीवली में 16 और दहिसर में 21 दिन में मरीजों की संख्या दोगुनी हो रही है।
बाेरीवली के राकांपा नेता मनीष दुबे कहते हैं कि लोगों की लापरवाही की वजह से यह इलाका रेड जोन में आ गया है।लॉकडाउन खुलते ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग भूल गए। वहीं भाजपा के पूर्व सांसद किरीट सोमैया आरोप लगाते हैं कि कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आने वाले लोगों की जांच नहीं की जा रही है। मरीजों को बेड के लिए इधर-उधरभटकना पड़ रहा है। रोजाना 5-10 लोगों की मौत घरों में हो रही है क्योंकि उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ही नहीं मिल रहे हैं।
पूर्वी उपनगर में युवा ब्रिगेड एसोसिएशन के सलाहकार डॉ. बाबूलाल सिंह बताते हैं कि मुलुंड के इंद्रानगर और रामगढ़ जैसे स्लम इलाकों में 95% संक्रमित ठीक होकर घर आ गए हैं। मगर संक्रमण अब मुलुंड के पॉश इलाकों की बिल्डिंग में फैल रहा है। वजह शायद यह गलतफहमी है किकोरोना सिर्फ स्लम में रहने वालों को होगा। लोग चोरी-छिपे सोसायटी के ग्राउंड फ्लोर पर इकट्ठा होते रहे और मौका मिलने पर इधर-उधर घूमने निकलने लगे।
नतीजा यह हुआकि मुलुंड में जहां अप्रैल में सिर्फ 13 संक्रमित थे वहीं 13 जून कोसंख्या 1,454 तक जा पहुंची और अब 1870 केस हो गए हैं। यानी पिछले सात दिन में ही 416 नए संक्रमित मिले हैं। दूसरी तरफ मलाड में हालात कुछ सुधरे हैं। भाजपा नेता योगेश वर्मा बताते हैं कि मलाड कुछ दिन पहले तक रेड जोन में था। अभी-अभी ऑरेंज जोन में आया है। यहां की घनी आबादी वाले झुग्गी-झोपड़ी इलाकों में कुरार गांव, अप्पा पाड़ा, संतोषनगर, तानाजी नगर और सोमवारी बाजार में लॉकडाउन का सख्ती से पालन न होने की वजह सेमरीजों की संख्या बढ़कर 3720 हो गई है, जबकि अप्रैल में यहां सिर्फ 59 संक्रमित थे।
मुंबई में मिशन जीरो, घर-घर स्क्रीनिंग
मुंबई नगर पालिका के आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने कर्मचारियों को ‘मिशन जीरो’ लक्ष्य दिया है। इसके तहत घर-घर स्क्रीनिंग की जाएगी। इस मिशन के तहत डॉक्टर, नर्स और दवाइयों के साथ 50 मोबाइल डिस्पेंसरी वैन मुलुंड, भांडुप, अंधेरी, मलाड, बोरीवली, दहिसर और कांदिवली में जाकर लोगों की जांच करेंगे। चहल ने भास्कर को बताया कि पिछले सप्ताह मुंबई जिले में कोरोनाकी ग्रोथ रेट 1.88% रही है। जबकि रिकवरी रेट 50% है। यही वजह है कि अब ‘मिशन जीरो’ के तहत मुंबई को कोरोना मुक्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है।हालांकि वे बताते हैं कि मानसून की वजह से चुनौतियां बढ़ गई हैं।
लाइफलाइन के पहिए थमे, लेकिन 2786 बसें दौड़ रहीं
कोरोना ने मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनों पर भी असर डाला है। मध्य रेलवे में कोरोना महामारी से पहले लोकल ट्रेनें तकरीबन 1774 फेरे लगाती थीं, जिनसे रोजाना 43 लाख यात्री सफर करते थे। लेकिन फिलहाल ये लोकल ट्रेनें सिर्फ 200 फेरे लगा रही हैं, जिनमें लगभग 70-80 हजार लोग सफर कर रहे हैं।
इसी तरह पश्चिम रेलवे की लोकल ट्रेनों के 1300 फेरे लगते थे, जिससे करीब 35 लाख लोग सफर करते थे। लेकिन इन दिनों 140 फेरे ही लगा रही हैं। इनमें 40-45 हजार लोग रोजाना सफर कर रहे हैं।
पहले जहां 1200 यात्री क्षमता वाले एक डिब्बे में 2000 लोग सफर करते थे, वहीं अब सोशलडिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सिर्फ 700 को ही सफर की इजाजत दी जा रही है। हालांकि, लोकल बसों पर अब कम असर देखने मिल रहाहै। मुंबई मनपा के बेडे में यूं तो साढ़े तीन हजार से अधिक बसें हैं। इनमें से 2786 बसें चल रही हैं। इनमें रोजाना लगभग ढ़ाई लाख लोग सफर कर रहे हैं। 9 जून से अब तक बेस्ट की बसों से कुल 7.78 लाख लोगों ने सफर किया हैजबकि मेट्रो अभी शुरू नहीं की गई है।
दुकानें, मॉल और सिनेमा हॉलको रोजाना 500 करोड़ का नुकसान
फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के विरेन शाह के मुताबिक, लॉकडाउन से अब तक मुंबई की दुकानें, मॉल और सिनेमा हॉलके बंद होने से रोजाना 500 करोड़ रुपए से ज्यादाका नुकसान होने का अनुमान है। जहां तक दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के खुलने का मामला हैतो शाह के मुताबिक, मुंबई की कुल साढ़े तीन लाख दुकानों में से महज 30% ही रोजाना खुल रही हैं। इन प्रतिष्ठानों में सोशल डिस्टेंसिंग का सख्त पालन हो रहा है।
मुंबई के झवेरी बाजार में कुल तीन हजार के करीब ज्वेलरी की दुकानें हैं, इनमें से इन दिनों एक हजार दुकानें ही खुल रही हैं। सरकारी ऑफिसों की बात करें, 25 से 50%कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि प्राइवेट दफ्तरों में यह संख्या 10-15% है।
मायानगरी में बड़ी फिल्मों की शूटिंग नहीं
फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलॉइज (एफडब्ल्यूआईसीई) और सिने एंड टेलीविजन आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (सिंटा)के मुताबिक मायानगरी में इन दिनों बड़ी फिल्मों की शूटिंग नहीं हो रही। लॉकडाउन के दौरान एसोसिएशन ने 50 लाख काबीमा कवर, 8 घंटे की शिफ्ट और कर्मचारियों का भुगतान शूटिंग खत्म होते ही उसी दिन करने जैसी मांगें रखी थीं, जो अब तक पूरी नहीं हुई है। इसलिए दोनों एसोसिएशन मांगें पूरी होने तक शूटिंग में हिस्सा नहीं लेंगे।
12 लाख प्रवासी घर गए, अब 15 हजार रोजाना लौट रहे हैं
महाराष्ट्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिककोरोना और लॉकडाउन की वजह से मुंबई से करीब 12 लाख से अधिक लोगों ने पलायन किया था। इन दिनों मुंबई में रोजाना करीब 11 से 15 हजार प्रवासी मजदूरों की वापसी हो रही है। इसमें राज्य के अलग-अलग जिलों के मजदूरों के अलावा यूपी-बिहार के लोग भी शामिल हैं।
केंद्र सरकार का अनुमान था कि मुंबई में मई के आखिरी सप्ताह में 75 हजार तक कोरोना के केस होंगे लेकिन मई में यह आंकड़ा 39 हजार 500 रहा और 22 जून को 67 हजार पार कर गया है। यानी मामले उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहे हैं। इसलिए अब मुंबई के अस्पतालों में पहले की तरह भीड़ नहीं दिख रही है।
मुंबई का मनपा अस्पताल जबरन कोरोना मरीजों को प्राइवेट अस्पताल भेज रहाहै। क्योंकि, प्राइवेट अस्पतालों में एक हजार नए बेड उपलब्ध होने की बात उन्हें दिखानी है। इन प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होने वाले सामान्य मरीजों से मनमाना बिल वसूला जा रहा है। इसके पीछे वजह है यह है किप्राइवेट अस्पतालों में सिर्फ बेड चार्ज ही सरकार ने तय किया है। बड़े अस्पताल मनमाने ढंग से दूसरे चार्ज लगाकर औसतन एक मरीज का बिल 5 लाख रुपए तक रहे हैं। यहां 26 अस्पतालों के खिलाफ 134 शिकायतें आई हैं।
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